परमार्थ में ऋषिकुमारों, संतों और निराश्रितों को कराया भोजन
सभी को पर्याप्त भोजन का अधिकार : स्वामी चिदानंद
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में स्वामी चिदानन्द सरस्वती के पावन सान्निध्य में विशाल भंडारा का आयोजन किया गया। इसमें ऋषिकुमारों, संतों और निराश्रितों को भोजन कराया गया। साथ ही सभी उपस्थित लोगों ने भोजन प्रसाद के रूप में ग्रहण किया।
इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि वायु और जल के बाद भोजन तीसरी सबसे बुनियादी मानवीय ज़रूरत है। सभी को पर्याप्त भोजन का अधिकार होना चाहिए। भोजन, जीवन और स्वतंत्रता, काम और शिक्षा के अधिकार मानवाधिकारों की श्रेणी में आते हैं, जिसका संरक्षण जरूरी है। स्वामी चिदानंद ने बताया कि भंडारा न केवल भौतिक पोषण का माध्यम है, बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक उन्नति का भी एक साधन है। भोजन कराने से समाज में सेवा और समर्पण की भावना विकसित होती है।उन्होंने कहा कि भोजन, शिक्षा, और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी अधिकारों के संरक्षण से समाज में समानता और समरसता को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने सभी उपस्थित लोगों को समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए सक्रिय रूप से कार्य करने हेतु प्रेरित करते हुये कहा कि जब हम समाज के कमजोर और वंचित वर्गों की सेवा करते हैं, तो हम न केवल उन्हें सहायता प्रदान करते हैं, बल्कि अपने जीवन को भी सार्थक बनाते हैं। भंडारों के माध्यम से समाज में सेवा, समर्पण और समरसता की भावना को बढ़ावा मिलता है। निराश्रितों को भोजन कराना न केवल एक धार्मिक और सामाजिक कार्य है, बल्कि यह एक मानवीय कर्तव्य भी था। जिससे न केवल किसी दिन बदलता है बल्कि भोजन कराने वालों का दिल भी बदलता है।
स्वामी चिदानंद ने सभी का आह्वान करते हुये कहा कि अब समय आ गया कि हम सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त भंडारों का आयोजन करे। भंडारों में प्लास्टिक और थर्माकोल के पत्तल, दोने और गिलासों का उपयोग न करे, क्योंकि यह पर्यावरण के लिये अत्यंत घातक है। उन्होंने कहा कि 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस है। पोषण, सामर्थ्य, पहुंच और सुरक्षा’ सभी का अधिकार है। दुनिया में 2.8 बिलियन से ज्यादा लोग स्वस्थ आहार का खर्च उठाने में असमर्थ हैं।अस्वास्थ्यकर आहार से सभी प्रकार के कुपोषण – अल्पपोषण का शिकार हो सकते हैं। वैसे भी वर्तमान समय में मिट्टी, पानी और हवा प्रदूषित हो रही हैं। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन हो रहा है जिससे जैव विविधता के भी नुकसान हो रहा हैं और शरीर पर इसका विपरित असर हो रहा है। कहा कि बेहतर उत्पादन, बेहतर पोषण, बेहतर पर्यावरण और सभी के लिए बेहतर जीवन अत्यंत आवश्यक है। बेहतर जीवन और बेहतर भविष्य के लिए खाद्य पदार्थों तक सभी की पहुंच भी जरूरी है। वायु और जल के बाद भोजन तीसरी सबसे बुनियादी मानवीय ज़रूरत है, इसलिए सभी को पर्याप्त भोजन का अधिकार होना चाहिए।