स्वामी चिदानंद ने H2O मूवमेंट पर दिया उद्बोधन
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती ने ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी द्वारा केपी नौटियाल ऑडिटोरियम, जीईएचयू देहरादून कैंप में आयोजित कार्यक्रम को ऑनलाइन के माध्यम से जुड़कर एच टू ओ मूवमेंट-वॉक फॉर वॉटर, वॉक फॉर लाइफ और स्वैब फॉर लाइफ विषय पर प्रेेरणादायी उद्बोधन दिया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने व्यवहार परिवर्तन, जीवनशैली में बदलाव और स्वस्थ भोजन का महत्व बताते हुये कहा कि वर्तमान समय में आधुनिक जीवनशैली में अत्यधिक व्यस्तता के कारण उत्पन्न तनाव का प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर स्पष्ट दिखायी दे रहा है, ऐसे में व्यवहार परिवर्तन जीवनशैली में सुधार और स्वस्थ भोजन की आदतें अपनाना अत्यंत आवश्यक हो गया है और यह न केवल हमारी शारीरिक, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। व्यवहार परिवर्तन से तात्पर्य अपने दैनिक जीवन की आदतों और व्यवहारों को पहचानना और उन्हें सुधारना। यह छोटे-छोटे कदमों के साथ शुरू होता है परन्तु यह हमारे जीवन को धीरे-धीरे सकारात्मक दिशा में ले जाते हैं। समय पर सोना और जागना, पर्याप्त और नियमित नींद से हमारा शरीर ताजगी महसूस करता है और मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। ध्यान और योग के माध्यम से मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है। इससे तनाव और चिंता को कम करने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि जीवनशैली में बदलाव से तात्पर्य अपने जीवन की उन आदतों को सुधारना, जो हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं। नियमित रूप से व्यायाम करने से हमारा शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। मांसाहार, धूम्रपान और मादक पेय पदार्थ हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इसलिए स्वस्थ भोजन अर्थात ऐसी खाद्य सामग्री का सेवन करना है, जो पोषक तत्वों से भरपूर हो और हमारे शरीर को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करे। सही खानपान हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि शाकाहारी जीवनशैली अपनाकर न केवल अपना बल्कि अपने पर्यावरण को भी प्रदूषण मुक्त कर सकते हैं क्योंकि मांस उत्पादन में अधिक जल और प्राकृतिक संसाधनों की आवश्यकता होती है। 1 किलोग्राम बीफ उत्पादन के लिए लगभग 15,000 लीटर जल की आवश्यकता होती है, जबकि 1 किलोग्राम गेहूं उत्पादन के लिए केवल 1,500 लीटर जल की आवश्यकता होती है। मांस उत्पादन में ग्रीनहाउस गैसों का भी उत्सर्जन अधिक होता है जो कि पर्यावरण के लिये अत्यंत हानिकारक है इसलिये शाकाहार ही उचित आहार है।
उन्होंने कहा कि व्यवहार परिवर्तन, जीवनशैली में सुधार और स्वस्थ भोजन की आदतें अपनाना हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमारे दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करके, हम अपने जीवन को स्वस्थ और सुखमय बना सकते हैं। यह हमें न केवल एक लंबा और स्वस्थ जीवन जीने में मदद करेगा, बल्कि हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी सक्षम बनाएगा। कहा कि स्वास्थ्य एक निरंतर प्रक्रिया है, और इसे बनाए रखने के लिए हमें लगातार प्रयास करते रहना होगा। अपने व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाकर, जीवनशैली में सुधार करके, और स्वस्थ भोजन की आदतें अपनाकर, हम एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आज शरद पूर्णिमा के अवसर पर कहा कि शरद पूर्णिमा की रात्रि सोलह कलाओं से परिपूर्ण चन्द्रमा और उन किरणों से बरसता अमृत, अद्भुत, अलौकिक है। यह केवल शरीर को ही नहीं बल्कि मन और आत्मा को भी भिगो देता है, यह पर्व एकता, प्रेम और समृद्धि की प्रेरणा देता है। चंद्रमा, हमारे मन के अधिष्ठाता हैं इसलिये हमारी भावनाओं, मनोदशा और मानसिक स्थिति को भी प्रभावित करता हैं। पूर्णिमा के समय तो चांद की चांदनी उस की किरणें विशेष चमत्कारी हो उठती है। शरद पूर्णिमा; रास पूर्णिमा, प्रभु से एक होने की पूर्णिमा है आज की रात ठाकुर जी के साथ। शरद पूर्णिमा की रात आत्मिक जागरण की भी रात्रि है। यह रात्रि जीवन के सारे अंधकार, अहंकार को दूर कर स्वीकार व समर्पण की रात्रि है। चन्द्रमा की किरणें सकारात्मक ऊर्जा, संतुलन, भावनात्मक शुद्धता और मानसिक शान्ति प्रदान करती है। आज की रात चन्द्रमा की किरणों में रखी खीर अमृतमयी हो जाती है। जो शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिये अत्यंत लाभकारी है।
इस अवसर पर इवेंट कोऑर्डिनेटर, डॉ संजीव कुमार, अशोक कुमार, डा संजय जोन, डा साध्वी भगवती सरस्वती, कल्याण एस रावत, संजय जसोला, कमल, डॉ दीपशिखा शुक्ला और अन्य विशिष्ट विभूतियों ने सहभाग कर अपने विचार और समाधान प्रस्तुत किये।