स्वामी चिदानंद ने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी, विश्व हैंडवाशिंग डे पर बाटें सेनेटाइज़र
पूर्व राष्ट्रपति का जीवन प्रेरणा स्त्रोत : स्वामी चिदानंद
ऋषिकेश। महान वैज्ञानिक, शिक्षक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जयंती के अवसर पर उनके दिव्य कार्यों और श्रेष्ठ जीवन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि डॉ. कलाम साहब का जीवन वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार की प्रेरणा का स्रोत है।
डॉ कलाम साहब ने हमेशा शिक्षा और युवाओं के सशक्तिकरण पर जोर दिया। उनकी विनम्रता, नवाचार, और आजीवन सीखने की भावना ने अनगिनत लोगों को प्रेरित किया। उन्होंने जीवन भर ज्ञान की महत्ता को उजागर किया और हमेशा अपने विद्यार्थियों को उच्चतम लक्ष्यों की ओर बढ़ने हेतु प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि डॉ कलाम की विरासत न केवल उनके वैज्ञानिक उपलब्धियों में है, बल्कि उनकी मानवता, विनम्रता, और सेवा के प्रति उनके समर्पण में भी है। उन्होंने सिखाया कि कैसे हम अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग समाज के कल्याण के लिए कर सकते हैं। उनकी दृष्टि और मार्गदर्शन हमारे देश को निरंतर प्रेरित करते रहेंगे।
वहीं, विश्व हैंडवाशिंग डे के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने विभिन्न गुरुकुलों में ऋषिकुमारों को हैंड सेनेटाइजर वितरित किए। इस दौरान स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि स्वस्थ शरीर और स्वस्थ समाज के निर्माण में हाथ धोने की महत्वपूर्ण भूमिका है। छोटा सा काम, पूरी जिन्दगी का आराम, बस 20 सेकेंड तक ठीक से हाथ ही तो धोना है। 20 सेकेंड तक सही तरीके से हाथ धोने से जीवन भी बचेगा, स्वस्थ भी रहेंगे और मस्त भी रहेंगे। इससे हम, हमारा परिवार और हमारे समाज को भी हम कई बीमारियों से बचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हाथ धोने की आदत बच्चों में बचपन से ही डालनी चाहिए, ताकि बड़े होकर भी वे स्वच्छता को जीवन का एक हिस्सा स्वभाव व संस्कार बना लें। क्योंकि हाथ धोने से कई बीमारियाँ जैसे डायरिया और श्वसन संक्रमण आदि को भी रोकने में मदद मिलती है। कहा कि ग्लोबल हैंडवॉशिंग डे हमें याद दिलाता है कि हाथ धोने जैसी छोटी-छोटी आदतें भी हमारे जीवन में बड़े बदलाव ला सकती हैं। हमें केवल स्वस्थ हाथों की नहीं बल्कि एक स्वस्थ धरती की आवश्यकता है। क्योंकि ज़ब हैल्दी हैैंड होंगे तभी हैल्दी प्लानेट बन पाएगा।